गेहूं कि पैदावार बढ़ाने के असरदार टिप्स जो आपको जानना चाहिए

गेहूं कि पैदावार कैसे बढ़ाए? पर चर्चा करें से पहले हम जानेगें की - भारत में गेहूं की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में होती है। गेहूं की फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए सही खाद और सिंचाई प्रबंधन का बहुत महत्व है। भारत में गेहूं सबसे ज्यादा बोई जाने वाली फसल है | किसान भी हमेशा सोचता है की गेहूं कि पैदावार कैसे बढ़ाए ताकि जमीन से ज्यादा मुनाफा मिल सके और आर्थिक स्थिति से मजबूत हो सके | यहाँ हम आपको गेहूं कि पैदावार बढ़ाने के कुछ कारगर तरीके बताने जा रहे है ताकि किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो सके

1. सही समय पर बुवाई करें

  • गेहूं कि बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय 15 अक्तूबर से 15 नवंबर तक होता है जिसमे गेहूं कि पैदावार अच्छी होती है |
  • दिए गए समय से जल्दी या लेट बुवाई कि जाती है तो 10-20 % उपज कम हो सकती है |

2 उच्च गुणवत्ता वाला बीज चुनें

  • हमेशा certified  बीज कि बुवाई करना चाहिए |
  • Certified बीज पूरी तरह से जांचा-परखा और शुद्ध होता है, इसलिए फसल की गुणवत्ता और उपज बेहतर मिलती है।
  • सामान्य बीज की तुलना में Certified बीज से उपज 10–15% तक ज्यादा बढ़ाई जा सकती है।
  • Certified बीज वैज्ञानिक तरीके से तैयार किए जाते हैं, जिससे ये कई सामान्य बीमारियों और कीटों से बचाव करते हैं जिससे गेहूं कि पैदावार बढ़ाई जा सकती है |
  • Certified बीज को कृषि विश्वविद्यालयों या सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रमाणित किया जाता है, इसलिए ये किसानों के लिए भरोसेमंद रहते हैं।
  • Certified बीज में मिलावट नहीं होती, जिससे खरपतवार (weed) की मार खेत में कम होता है।

3. भारत में प्रचलित और किसानों द्वारा अपनाई जाने वाली गेहूँ की प्रमुख Certified किस्में

1. HD 2967 (Pusa Wheat)

  • यह बहुत लोकप्रिय किस्म
  • इसके दाने मोटे और चमकदार
  • उत्पादन क्षमता: 20-25 क्विंटल/एकड़

2. HD 3086

  • यह ज्यादा पैदावार देने वाली हाई-यील्ड किस्म मानी जाती है |
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने से उमला/सूखने वाली समस्या नहीं होती है |
  • उत्पादन क्षमता: 20-25  क्विंटल/एकड़

3. HD 3271 (Pusa Jaldi Pakka)

  • यह 120-125 दिन में पक कर तैयार होने वाली किस्म है |
  • कम पानी वाले इलाकों के लिए काफी अच्छी किस्म मणि जाति है |
  • रोग प्रतिरोधक और कम अवधि में अच्छी उपज
  • उत्पादन क्षमता: 18–22 क्विंटल/एकड़

4. PBW 343

  • यह किस्म पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक बोई जाति है |
  • सिंचित क्षेत्रों के लिए बेहतर पैदावार होती है |
  • अनाज चमकीला और खाने में स्वादिष्ट होता है |
  • उत्पादन क्षमता: 20 –25  क्विंटल/एकड़

5. Lok-1 (लोक वन)

  • यह किस्म मध्य प्रदेश और राजस्थान में ज्यादा प्रचलित है |
  • इस किस्म में सूखा सहन करने की क्षमता अच्छी होती है |
  • रोटी और उद्योगों में ब्रेड के लिए बढ़िया क्वालिटी मानी जाती है |
  • उत्पादन क्षमता: 20 –23  क्विंटल/एकड़

6. HI 1544 (Pusa Tejas)

  • यह किस्म उच्च प्रोटीन वाली किस्म मानी जाति है |
  • अनाज मजबूत और दाने भारी होते है
  • सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त
  • उत्पादन क्षमता: 18 –20  क्विंटल/एकड़

7. WH 1105

  • उत्तर भारत के लिए लोकप्रिय किस्म
  • गर्मी और ठंड दोनों को सहन करने की क्षमता
  • उत्पादन क्षमता: 20 –25  क्विंटल/एकड़

4. संतुलित खाद का उपयोग करें जिससे गेहूं कि पैदावार बढ़ेगी

गेहूँ की बेहतर वृद्धि और पैदावार के लिए पौधों को नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और जिंक जैसे पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। अगर पोषण में कमी हो जाए, तो फसल कमजोर हो सकती है और पैदावार मे बुरा असर पड़ सकता है।

डीएपी (डाई -अमोनियम फॉस्फेट)

  • डीएपी से गेहूं की फसल को फॉस्फोरस और नाइट्रोजन की आपूर्ति होती है।
  • कब और कितना देना है
    • बुआई करते समय प्रति एकड़ 50 किलोग्राम डीएपी का उपयोग करें।
    • डीएपी को बुआई के समय देने से पौधे को शुरुआत से अच्छा पोषण मिलता है जिससे पौधे कि ग्रोथ अच्छी होती है और
    • गेहूं की पैदावार में बढ़ोत्तरी होती है।

यूरिया

  • यूरिया से फसल को आवश्यक नाइट्रोजन की आपूर्ति होती है, जो पौधे की वृद्धि और हरियाली बढ़ाने में मदद करता है जिससे गेहूं कि पैदावार मे बढ़ोतरी होती है।
  • कब और कितना देना है
    • पहली सिंचाई के समय प्रति एकड़ 40-50 किलोग्राम यूरिया देना चाहिए ।
    • दूसरी सिंचाई के समय 25-30 किलोग्राम यूरिया का उपयोग करना चाहिए ।

जिंक

  • जिंक गेहूं में क्लोरोफिल और मेटाबोलिक क्रिया में भाग लेता है, जिसके कारण फसल में दाने बेहतर बनते है, और गेहूं की पैदावार में बढ़ोत्तरी होती है।
  • डोज़ और समय:
    • प्रति एकड़ 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट पहली सिंचाई के समय उपयोग करें।

5. फसल की अच्छी पैदावार के लिए सही समय पर पानी देना

गेहूं की पैदावार में बढ़ोत्तरी के लिए सही समय पर पानी देने की आवश्यकता है ताकि जड़ का विकास अच्छे से हो सकें, और दाने भरे हुए और मोटे बने ,जिससे गेहूं की पैदावार में बढ़ोत्तरी सकें |

महत्वपूर्ण सिंचाई समय

  1. पहली सिंचाई: बुआई के 20-25 दिन बाद।
  2. दूसरी सिंचाई: कल्ले बनने के समय (40-45 दिन बाद)।
  3. तीसरी सिंचाई: बूटिंग स्टेज (60-70 दिन बाद)।
  4. चौथी सिंचाई: दाने बनने के समय (80-90 दिन बाद)।

6. खरपतवार पर करें नियंत्रण आवश्यक

सभी फसलो में खरपतवार की समस्यायें रहती है। इसी प्रकार गेहूं की फसल में भी खरपतवार की समस्या बनी रहती है। खरपतवार से तात्पर्य उन अवांछनीय पौधे व घास से है जो गेहूं की फसल के आसपास उग जाते हैं जिससे गेहूं कि पैदावार को नुकसान है। खरपतवार से गेहूं कि पैदावार में कमी होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में गेहूं की खेती में खरतवार पर नियंत्रण करें, इसके लिए किसान खरपतवार नाशक केमिकल्स का प्रयोग कर सकते हैं।

7. फसल को कीट व रोग मुक्त रखना जरूरी

गेहूं की फसल में कई प्रकार के कीट व रोगों का प्रकोप बना रहता है। ऐसे में कीट व रोगों से फसल को बचाने के उपाय उचित समय पर करें और गेहूं कि बोनी करने से पहले बीज कों फंगीसाइड से उपचारित करे ताकि फसल कों फंगस रोग से दूर रखा जा सके जिससे गेहूं कि पैदावार कों बढ़ाया जा सके । इसके लिए कीटनाशक का छिड़काव करें। वहीं फसल पर कीट का प्रकोप अधिक हो रहा है तो अपने जिले के कृषि विभाग के कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर इसकी रोकथाम के उपाय करने चाहिए।

निष्कर्ष: गेहूं की बेहतर पैदावार के लिए सही प्रबंधन

खाद और सिंचाई का सही समय, गेहूं की पैदावार बढ़ोतरी और बेहतर quality को सुनिश्चित करता है | डीएपी, यूरिया, और जिंक का उपयोग सही मात्रा मे और सही समय मे उपयोग करे और फसल के महत्वपूर्ण समय मे सिंचाई जरूर करे साथ ही खरपतवार और रोगों से फसल कों बचाना बहुत ज्यादा जरूरी होता है | यह न केवल आपकी फसल को मजबूत बनाएगा बल्कि गेहूं कि पैदावार और मुनाफे को बढ़ाकर आपकी आर्थिक स्थिति कों भी मजबूत करेगा।

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